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Aarti Shri Guru Gorakh Nath Ji Ki

॥ आरती श्री गुरु गोरख नाथ जी की ॥ ॥ Aarti Shri Guru Gorakh Nath Ji Ki ॥ जय गोरख देवा जय गोरख देवा । कर कृपा मम ऊपर नित्य करूँ सेवा । शीश जटा अति सुंदर भाल चन्द्र सोहे । कानन कुंडल झलकत निरखत मन मोहे । गल सेली विच नाग सुशोभित तन भस्मी धारी । आदि पुरुष योगीश्वर संतन हितकारी । नाथ नरंजन आप ही घट घट के वासी ।…

Aarti Shri Baba Balak Nath Ji Ki

॥ आरती श्री बाबा बालक नाथ जी की ॥ ॥ Aarti Shri Baba Balak Nath Ji Ki ॥ ॐ जय कलाधारी हरे, स्वामी जय पौणाहारी हरे, भक्त जनों की नैया, दस जनों की नैया भव से पार करे, ॐ जय कलाधारी हरे… बालक उमर सुहानी, नाम बालक नाथा, अमर हुए शंकर से, सुन के अमर गाथा । ॐ जय कलाधारी हरे… शीश पे बाल सुनैहरी, गले रुद्राक्षी माला, हाथ में झोली चिमटा,…

Aarti Ekadashi Ki

॥ आरती एकादशी की ॥ ॥ Aarti Ekadashi Ki ॥ ॐ जय एकादशी, जय एकादशी, जय एकादशी माता । विष्णु पूजा व्रत को धारण कर, शक्ति मुक्ति पाता ॥ ॐ॥ १ तेरे नाम गिनाऊं देवी, भक्ति प्रदान करनी । गण गौरव की देनी माता, शास्त्रों में वरनी ॥ॐ॥ २ मार्गशीर्ष के कृष्णपक्ष की उत्पन्ना, विश्वतारनी जन्मी। शुक्ल पक्ष में हुई मोक्षदा, मुक्तिदाता बन आई॥ ॐ॥ ३ पौष के कृष्णपक्ष की, सफला नामक…

Aarti Bhagwan Shri Dhanwantri Ji Ki

॥ आरती भगवान श्री धन्वंतरि जी की ॥ ॥ Aarti Bhagwan Shri Dhanwantri Ji Ki ॥ जय धन्वंतरि देवा, जय धन्वंतरि जी देवा। जरा-रोग से पीड़ित, जन-जन सुख देवा।।जय धन्वं.॥ १ ॥ तुम समुद्र से निकले, अमृत कलश लिए। देवासुर के संकट आकर दूर किए।।जय धन्वं.॥ २ ॥ आयुर्वेद बनाया, जग में फैलाया। सदा स्वस्थ रहने का, साधन बतलाया।।जय धन्वं.॥ ३ ॥ भुजा चार अति सुंदर, शंख सुधा धारी। आयुर्वेद वनस्पति से…

Aarti Bhagwan Mahavir Ki

॥ आरती भगवान महावीर की ॥ ॥ Aarti Bhagwan Mahavir Ki ॥ जय महावीर प्रभो, स्वामी जय महावीर प्रभो। कुंडलपुर अवतारी, त्रिशलानंद विभो॥ ॥ ॐ जय…..॥ १ ॥ सिद्धारथ घर जन्मे, वैभव था भारी, स्वामी वैभव था भारी। बाल ब्रह्मचारी व्रत पाल्यौ तपधारी ॥ ॐ जय…..॥ २ ॥ आतम ज्ञान विरागी, सम दृष्टि धारी। माया मोह विनाशक, ज्ञान ज्योति जारी ॥ ॐ जय…..॥ ३ ॥ जग में पाठ अहिंसा, आपहि विस्तार्यो। हिंसा…

Aarti Shri Chitragupta Maharaj Ki

॥ आरती श्री चित्रगुप्त महाराज की ॥ ॥ Aarti Shri Chitragupta Maharaj Ki ॥ श्री विरंचि कुलभूषण, यमपुर के धामी। पुण्य पाप के लेखक, चित्रगुप्त स्वामी॥ १ ॥ सीस मुकुट, कानों में कुण्डल अति सोहे। श्यामवर्ण शशि सा मुख, सबके मन मोहे॥ २ ॥ भाल तिलक से भूषित, लोचन सुविशाला। शंख सरीखी गरदन, गले में मणिमाला॥ ३ ॥ अर्ध शरीर जनेऊ, लंबी भुजा छाजै। कमल दवात हाथ में, पादुक परा भ्राजे॥ ४…

Aarti Shri Shyam Baba Ki

॥ आरती श्री श्यामबाबा की ॥ ॥ Aarti Shri Shyam Baba Ki ॥ ॐ जय श्री श्याम हरे , बाबा जय श्री श्याम हरे । खाटू धाम विराजत, अनुपम रुप धरे ॥ ॐ जय श्री श्याम हरे…… रत्न जड़ित सिंहासन, सिर पर चंवर ढुले । तन केशरिया बागों, कुण्डल श्रवण पडे ॥ ॐ जय श्री श्याम हरे…… गल पुष्पों की माला, सिर पर मुकुट धरे। खेवत धूप अग्नि पर, दिपक ज्योती जले॥…

Aarti Shri Sai Baba Ki

॥ आरती श्री साईं बाबा की ॥ ॥ Aarti Shri Sai Baba Ki ॥ ॐ जय साईं हरे, बाबा शिरडी साईं हरे। भक्तजनों के कारण, उनके कष्ट निवारण॥ शिरडी में अव-तरे, ॐ जय साईं हरे। ॐ जय साईं हरे, बाबा शिरडी साईं हरे॥ दुखियन के सब कष्टन काजे, शिरडी में प्रभु आप विराजे। फूलों की गल माला राजे, कफनी, शैला सुन्दर साजे॥ कारज सब के करें, ॐ जय साईं हरे। ॐ जय…

Bhairava Ji Ki Aarti

॥ भैरव जी की आरती ॥ ॥ Bhairava Ji Ki Aarti ॥ जय भैरव देवा प्रभु जय भैरव देवा । जय काली और गौरा देवी कृत सेवा ॥ जय॥ तुम्ही पाप उद्धारक दुःख सिन्धु तारक । भक्तों के सुख कारक भीषण वपु धारक ॥ जय॥ वाहन श्वान विराजत कर त्रिशूल धारी । महिमा अमित तुम्हारी जय जय भयहारी ॥ जय॥ तुम बिन सेवा देवा सफल नहीं होवे । चौमुख दीपक दर्शन सबका…

Aarti Ahoi Mata Ki

॥ आरती अहोई माता की ॥ ॥ Aarti Ahoi Mata Ki ॥ ज़य अहोई माता ज़य अहोई माता। तुमको निसदिन ध्यावत हरि विष्णु धाता॥ १ ॥ ब्राहमणी रुद्राणी कमला तू हे है जग दाता। सूर्य चन्द्रमा ध्यावत नारद ऋषि गाता॥ २ ॥ माता रूप निरंजन सुख संपत्ती दाता। जो कोई तुमको ध्यावत नित मंगल पाता॥ ३ ॥ तू हे है पाताल बसंती तू हे है सुख दाता। कर्मा प्रभाव प्रकाशक जज्निदधि से…

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